“जहां उम्मीदें दम तोड़ देती हैं… वहां ‘डीएम’ की चौखट बनती है आख़िरी आस – अधजले हाथ वाला राजू, आज फिर से मुस्कुरा रहा है”
देहरादून, त्यूणी, गोविंद शर्मा 20 जुलाई 2025
जब कोई रास्ता नहीं बचता, तो कुछ लोग प्रशासन के दरवाज़े पर आखिरी उम्मीद लेकर पहुंचते हैं। ऐसा ही हुआ उस दिन, जब अधजले हाथ और दर्द से कराहता एक असहाय युवक—राजू—कलेक्ट्रेट परिसर में जिलाधिकारी सविन बंसल के सामने आ खड़ा हुआ। गले में रुंधा हुआ दर्द था, आंखों में आंसू, और जुबां पर सिर्फ एक गुहार—”साहब, मेरा कोई नहीं है… हाथ जल गया है… इलाज करवा दो…”
राजू चमोली से मजदूरी करता हुआ देहरादून पहुंचा था। होटल में काम करते वक्त उबलता पानी उसके हाथ पर गिर गया। हालत इतनी गंभीर थी कि दून अस्पताल ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया—मगर राजू के पास न पैसा था, न सहारा। बिस्तर नहीं मिला, इलाज नहीं मिला—मिली सिर्फ मायूसी।
लेकिन जब सिस्टम की ठोकर खाकर थका-हारा राजू डीएम ऑफिस पहुंचा, तो वहां से उसकी किस्मत ने करवट ली। डीएम सविन बंसल ने न केवल पूरी संवेदना से उसकी बात सुनी, बल्कि पलभर भी गंवाए बिना एक निजी बर्न स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल हेल्पिंग हैंड्स के डॉ. कुश से स्वयं फोन पर बात की। जिला प्रशासन का ‘सारथी वाहन’ तुरंत भेजा गया और राजू को तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
आज उसी राजू का ऑपरेशन सफलता पूर्वक हो चुका है। बुरी तरह झुलसे हाथ का इलाज अब बिल्कुल मुफ्त हो रहा है। डीएम स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं—प्रशासन की टीम प्रतिदिन अस्पताल जाकर राजू की स्थिति पर नज़र रख रही है। जिलाधिकारी ने हेल्पिंग हैंड्स हॉस्पिटल और डॉ. कुश का विशेष आभार जताया है।
राजू की मुस्कान लौट रही है। अब जिला प्रशासन उसके पुनर्वास की भी तैयारी कर रहा है। राजू, जो कल तक लावारिस था, आज प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।
इस कहानी में न कोई नेता है, न मंच, न भाषण—यह कहानी है व्यवस्था में संवेदना की लौ बचाए रखने वाले एक जिलाधिकारी की। यह कहानी है एक अनाथ की जो दर्द से लड़ रहा था, और एक ‘साहब’ की चौखट को आखिरी उम्मीद मान बैठा था। आज वह उम्मीद, एक हकीकत बन चुकी है।
थैंक्यू डीएम साहब…
आपने सिर्फ मेरा हाथ नहीं, मेरी उम्मीद भी बचाई।”*
राजू की ओर से – एक दिल से निकला धन्यवाद “साहब… अगर आप नहीं होते,
तो शायद मेरा ये जला हुआ हाथ… मेरा जीना भी जला देता।
दून अस्पताल ने मुझे लौटा दिया था… लेकिन आपने मुझे थामा।
न पैसा था, न पहचान… फिर भी आपने मेरा इलाज करवाया।