“लोकहित के आगे तंत्र का छल नहीं चला: डीएम सविन बंसल के सामने झुका पूरा सिस्टम, आबकारी अधिकारी केपी सिंह निलंबन की कगार पर”

अब नपेंगे केपी सिंह – डीएम ने की निलंबन की संस्तुति, उच्चस्तरीय जांच संस्थित

by news7point

“लोकहित के आगे तंत्र का छल नहीं चला: डीएम सविन बंसल के सामने झुका पूरा सिस्टम, आबकारी अधिकारी केपी सिंह निलंबन की कगार पर”
अब नपेंगे केपी सिंह – डीएम ने की निलंबन की संस्तुति, उच्चस्तरीय जांच संस्थित

गुमराह किया तो गजब हुआ, अब भारी तुम्हारी; डीएम के जनहित फैसले से जो भिड़ा, उसका बचना नामुमकिन – अब जनता बोले, अफसर ऐसा ही चाहिए हमारी”

लोकहित के आदेश की अनदेखी कर, झूठी रिपोर्ट से न्यायालय को गुमराह करने वाले आबकारी अधिकारी केपी सिंह के खिलाफ डीएम सविन बंसल ने सिफारिश की निलंबन की – शासन ने ली गंभीरता से, जांच के घेरे में पूरा प्रकरण

देहरादून, जुलाई 25। गोविन्द शर्मा

देहरादून जिले में शराब के ठेकों को लेकर जिला प्रशासन और विभागीय अफसर के बीच टकराव अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है। डीएम सविन बंसल की अगुवाई में जनहित में लिए गए एक साहसिक निर्णय के खिलाफ विभागीय अधिकारी द्वारा न्यायालय को गुमराह करने का दुस्साहस अब उसी पर भारी पड़ गया है। जिला आबकारी अधिकारी के. पी. सिंह द्वारा भेजी गई भ्रामक और बिना स्वीकृति की रिपोर्ट पर डीएम ने सीधे शासन को उनके निलंबन की संस्तुति भेज दी है। साथ ही, उच्च स्तरीय जांच भी संस्तुत कर दी गई है।

मामला देहरादून में सड़क सुरक्षा समिति की सिफारिशों पर आधारित उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें जिलाधिकारी सविन बंसल ने यातायात और जन सुरक्षा को देखते हुए छह शराब की दुकानों को शिफ्ट करने का निर्देश जारी किया था। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी (SCCoRS), नई दिल्ली द्वारा 29 मार्च 2022 को जारी दिशा-निर्देशों के तहत गठित जिला स्तरीय समिति की संस्तुति पर लिया गया था।

इन दुकानों के अनुज्ञापियों ने डीएम के इस फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट, आबकारी आयुक्त और शासन स्तर पर अपील की थी, जिसे तीनों स्तरों पर स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया। लेकिन इसके बावजूद, जिला आबकारी अधिकारी के. पी. सिंह ने डीएम के आदेश के विरुद्ध न्यायालय में जो रिपोर्ट भेजी, वह न केवल भ्रामक थी, बल्कि किसी सक्षम अधिकारी – जिलाधिकारी, आबकारी आयुक्त या प्रमुख सचिव – से अनुमोदित भी नहीं थी।

यह रिपोर्ट लोकहित में लिए गए निर्णय के ठीक उलट जाकर न सिर्फ न्यायालय को गुमराह करने वाली थी, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया और कर्मचारी आचरण नियमों का भी स्पष्ट उल्लंघन थी। डीएम ने इस पूरे कृत्य को गंभीर माना और बिना समय गंवाए शासन को रिपोर्ट भेजते हुए निलंबन की संस्तुति कर दी।

सीएससी (सड़क सुरक्षा समिति) द्वारा भी उक्त अधिकारी की रिपोर्टिंग पर तीखी टिप्पणी करते हुए इसे जनविरोधी, असंवैधानिक और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है। मामला केवल शराब की दुकानों के स्थानांतरण का नहीं, बल्कि उस सोच और तंत्र के खिलाफ है, जो निजी लाभ के लिए लोकहित के खिलाफ खड़ा होने से भी नहीं चूकता।

जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस पूरे प्रकरण में जिस प्रकार की तेज, पारदर्शी और निर्भीक कार्यवाही की, उसने न केवल विभागीय अनुशासन को एक स्पष्ट संदेश दिया है, बल्कि जनता में यह भरोसा और पुख्ता किया है कि सही नेतृत्व होने पर सिस्टम जनता के पक्ष में झुकता है, न कि माफिया और मिलीभगत के सामने।

जनता के बीच डीएम की लोकप्रियता का यह कारण भी है कि वे किसी ज्ञापन या अभियान के इंतजार में नहीं रहते – जो करना होता है, वह खुद जाकर, खुद देख कर और खुद निर्णय लेकर करते हैं।

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अब कोई भी अधिकारी शासन या न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास करेगा, तो उसे न केवल बेनकाब किया जाएगा बल्कि जवाबदेही से भी नहीं बचाया जाएगा।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक ही वाक्य पूरे शहर में गूंज रहा है –
“अब जनता बोले – अफसर ऐसा ही चाहिए हमारी जो सच के साथ चले, माफिया से न डरे, और सिस्टम में दम दिखाए।”

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