प्रोटोकॉल का बहाना या सियासी नाराज़गी? डीएम देहरादून सविन बंसल के कामकाज पर उठते सवाल या चमकती उपलब्धियों से घबराहट?
देहरादून (गोविंद शर्मा, पत्रकार न्यूज़ 7 पॉइंट)
देहरादून जिला प्रशासन और विधानसभा अध्यक्ष के प्रोटोकॉल को लेकर एक बार फिर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य मंच पर विधानसभा अध्यक्ष की सीट को लेकर भेजे गए नोटिस के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जिला प्रशासन को बार-बार प्रोटोकॉल के नाम पर घसीटने की वजह क्या है?
जिला प्रशासन की संयुक्त आख्या साफ बताती है कि विधानसभा अध्यक्ष की उपस्थिति की पुष्टि हेतु उनके निजी सचिव से 13 और 14 अगस्त को लगातार सम्पर्क किया गया। निजी सचिव ने यह जानकारी दी कि माननीय अध्यक्ष 15 अगस्त को विधानसभा भवन के कार्यक्रम में शामिल होंगी, न कि परेड ग्राउंड के। इतना ही नहीं, मुख्य मंच पर अध्यक्ष महोदया की सीट 14 अगस्त को ही निर्धारित कर दी गई थी। यानी, प्रोटोकॉल से जुड़ी सारी कार्रवाई समय से और पारदर्शिता के साथ पूरी हो चुकी थी।
फिर सवाल यह है कि बार-बार जिला प्रशासन को नोटिस थमाने का मक़सद क्या है? क्या यह महज संयोग है या फिर प्रशासन की बढ़ती साख और लोकप्रियता से घबराहट?
असलियत यह है कि मौजूदा डीएम सबीन बंसल की कार्यशैली बिल्कुल अलग है। वे सीधे जनता से मिलते हैं, शिकायतें सुनते हैं और मौके पर ही समाधान भी कर देते हैं। यही वजह है कि देहरादून की जनता आज उन्हें “धाकड़ सीएम का धाकड़ डीएम” कहने लगी है।,
चाहे बुजुर्गों की गुहार हो, विधवा पेंशन की समस्या, अस्पतालों की व्यवस्था या स्मार्ट सिटी का खाका—डीएम बंसल हर मुद्दे पर तुरंत एक्शन लेकर मिसाल पेश कर रहे हैं। यही कारण है कि आज हर बच्चा, बुजुर्ग और युवा उनके कामकाज का कायल है। लोग खुलकर कहने लगे हैं कि “हर जिले में सविन बंसल जैसा जिलाधिकारी होना चाहिए।”
जानकार मानते हैं कि बार-बार “प्रोटोकॉल” का मुद्दा उछालकर कहीं न कहीं उनकी तेज़तर्रार और पारदर्शी कार्यशैली पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस विवाद में क्या रुख अपनाती है—क्या जिले को उसके “धाकड़ डीएम” की पूरी ताकत के साथ काम करने की आज़ादी मिलेगी या फिर सियासी खींचतान “प्रोटोकॉल” की आड़ में जारी रहेगी।
सीधे जनता से मिलते हैं, शिकायतें सुनते हैं और मौके पर ही समाधान भी कर देते हैं। यही वजह है कि देहरादून की जनता आज उन्हें “धाकड़ सीएम का धाकड़ डीएम” कहने लगी है। शायद कुछ लोगों को यही रास नहीं आ रहा है l